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Has anyone seen God? क्या किसी ने खुदा को देखा है, हम खुदा को नहीं देख सकते आखिर क्यों?

आज हम इस पोस्ट में बात करेंगे क्या किसी ने खुदा को देखा है तो चलिये   इस बात को एक उदाहरण के माध्यम से समझ लेते हैं। माजिद ने साजिद से सवाल किया क्या? किसी ने खुदा को देखा है साजिद यह कैसे हो सकता है माजिद क्यों? साजिद वजह तो बिल्कुल जाहिर है क्योंकि तुम उसी चीज को देख सकते हो जिसमें कुछ जिस्मानीयत हो यानी कुछ लंबाई चौड़ाई कुछ मोटाई कुछ गाढ़ापन हो तुम्हारे अंदर तुम्हारी जान मौजूद है मगर तुम उसको नहीं देख सकते हवा तुमको लगती है मगर नजर नहीं आती क्योंकि इसमें कसाफत और  गाढ़ापन  नहीं है अल्लाह ताला जिस्मानीयत से  भी पाक है और कसाफत से भी वह लतीफ है लिहाजा ना नजर आता है ना हाथ उसको छू सकते हैं और यह वह हवा की तरह आपके बदन से लग सकता है एक बात और समझ लो देखो सूरज तुम्हारे सामने होता है मगर तुम उस पर नजर नहीं जमा सकते तुम्हारी नजर जैसे ही सूरज की तरफ उठती है चकाचोंध हो जाती है अब अगर सूरज की रोशनी दो तीन गुना हो जाए तो फिर सूरज तो सूरज तुम धूप पर भी नजर ना डाल सकोगे चमगादड़ की तरह धूप से छुपते फिरोगे और अगर सूरज का नूर सौ गुना हो जाए तो फिर सोचो क्या हाल हो जिंदगी नामुमकिन हो जाए यानी अस्तित्व ही नहीं रहेगा अगर समझो सूरज की जात उसका नूर उस की लताफत यह सब कुछ अल्लाह ताला के सामने बे हकीकत है ना अल्लाह ताला की जात का कोई किनारा है ना उसके नूर की कोई इंतहा और ना उसकी लताफत की कोई हद है बस तुम ही  बताओ तुम्हारी यह कमजोर आंखे उसको कैसे देख सकती है अब यह भी समझ जाओ कि अगर खुदा नजर नहीं आता तो यह उस का कुसूर नहीं बल्कि तुम्हारी आंख की कमजोरी है और यह जो तुम सुना करते हो कि अल्लाह ताला की ज़ात हजारों परदो मैं है तो देखो अल्लाह ताला पर कोई पर्दा पड़ा हुआ नहीं है यह पर्दा हमारी कमजोरी और हमारी आंखों की अयोग्यता है अब अगर हमारी कमजोरी के परदे उठ जाएं तो बेशक उसकी जात पात नजर आ सकती है माजिद साजिद से बात तो आपने खूब समझदारी और मेरी समझ में भी आ गई बेशक इन आंखों से हम खुदा को नहीं देख सकते लेकिन यह तो बताओ कि जब खुदा को कोई नहीं देख सकता उस की बोलचाल और उसकी आवाज नहीं सुन सकता तो यह कैसे मालूम हुआ कि उसकी क्या क्या सिफ्तें हैं उसके हुकुम क्या है वह बंदों से क्या चाहता है किन बातों से खुश होता है और किन बातों से नाखुश होता है यह कैसे मालूम हो साजिद देखो भी कुछ बातें तो ऐसी है जिनको इंसान अपनी अक़्ल से भी समझ सकता है मसलन यह कि जब उस  तमाम मखलूक पर नजर डालते हैं तो अक़्ल और समझ का फैसला यह होता है कि उसका कोई पैदा करने वाला है और वह बहुत बड़ा दाना है इसका इल्म बेइंतहा है क्योंकि जब हम वागीचे को देखकर यकीन कर लेते हैं कि उसका कोई लगाने वाला है महल को देखकर समझ जाते हैं कि उसका कोई तामीर करने वाला है बिजली के स्तम्भ को देखकर पहचान लेते हैं कि इनका कोई फिट करने वाला है तो यह जमीन आसमान चांद सूरज बेशुमार तारों की आकाशगंगा दरियाओं और पहाड़ों के अजीबोगरीब नजारे यकीनन गवाही देते हैं कि कोई मालिक और पैदा करने वाला है जो बहुत दाना बहुत बीना बहुत बड़ी कुदरत वाला है ना उसके इल्म की कोई इंतहा है ना उसकी कुदरत की कोई हद है और बहुत सी बातें जिनका फैसला हमारी अक़्ल नहीं कर सकती ।

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